कुछ ख्वाहिशों को हमने भी दबा दिया
जलती उस चराग़ को यूं ही बुझा दिया।
उसको ही ये तू-तू, मैं-मैं रास आयी थीं
उसके लिये खुदको हमने सजा दिया।
जब नाउम्मीद होकर मैं यूं लौटने लगा
सजदे में बैठें जाने किसने दुआ दिया।
नसीहतें सारी मिटा के हमने भी की है
वो काम जिससे हमको यूं भूला दिया।
नितेश वर्मा
जलती उस चराग़ को यूं ही बुझा दिया।
उसको ही ये तू-तू, मैं-मैं रास आयी थीं
उसके लिये खुदको हमने सजा दिया।
जब नाउम्मीद होकर मैं यूं लौटने लगा
सजदे में बैठें जाने किसने दुआ दिया।
नसीहतें सारी मिटा के हमने भी की है
वो काम जिससे हमको यूं भूला दिया।
नितेश वर्मा
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