Nitesh Verma Poetry
Home
�� Home
Poetry
Articles
Story
Contact
Contact
Wednesday, 1 July 2015
अपनी सारी ख्वाहिशों को एक दिन खरीद लूंगा
अपनी सारी ख्वाहिशों को एक दिन खरीद लूंगा
जिस दिन जिंदगी-गरीबीयत से रिहा हो जाऊंगा।
नितेश वर्मा और एक दिन
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment