कुछ जिक्र तो कुछ फिक्र हुआ है
लग रहा है थोड़े सवाली हम भी है।
किस्से कैसे कैसे बंधे है यूं मुझसे
जिन्दगी थोड़े अखबारी हम भी है।
उनसे ना पूछो जो रिश्तेदारी से है
मुश्किल बहोत दीवानी हम भी है।
इश्क़ का जिक्र किसी और से करे
थोड़े तो कीड़े किताबी हम भी है।
नितेश वर्मा
लग रहा है थोड़े सवाली हम भी है।
किस्से कैसे कैसे बंधे है यूं मुझसे
जिन्दगी थोड़े अखबारी हम भी है।
उनसे ना पूछो जो रिश्तेदारी से है
मुश्किल बहोत दीवानी हम भी है।
इश्क़ का जिक्र किसी और से करे
थोड़े तो कीड़े किताबी हम भी है।
नितेश वर्मा
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