Wednesday, 22 July 2015

उल्-उल्-अज़्मी घटा घनघोर ले आये हैं।

अब एआदए शबाब किस मोड़ ले आये हैं
उल्-उल्-अज़्मी घटा घनघोर ले आये हैं।

दीनेक़य्यिम,दीन-ए-हनीफ़ फ़जाओं में हैं
ग़िज़ाए रूहानी संग कुछ शोर ले आये हैं।

तंगमआशी और हैं खिलौनों की बाज़ार में
यूं हम भी कुछ चुराकर चकोर ले आये हैं।

तक़दीम,तअस्सुब,तकबीर,तकमील वर्मा
तक़रीबन जबां बेरंग हर ओर ले आये हैं।

नितेश वर्मा और ले आये हैं।

एआदए शबाब : बूढ़े से जवान होना।
उल्-उल्-अज़्मी : ऊँचा हौसला।
दीनेक़य्यिम : सच्चा धर्म।
दीन-ए-हनीफ़ : हज़रत इब्राहिम का धर्म।
फ़जाओं : वातावरण।
ग़िज़ाए रूहानी : अच्छी आवाज़।
तंगमआशी : जीविका की कमी।
चकोर : एक प्रकार का गोलाकार खिलौना जो मिष्ठान से बनाया जाता है, जिससे खेलने और भूख की चाह दोनों एक साथ ही मिट जाती हैं।
तक़दीम : श्रेष्ठता।
तअस्सुब : पक्षपात।
तकबीर : खुदा का नाम लेने वाला।
तकमील : पूरा होना।
तक़रीबन : लगभग।

No comments:

Post a Comment