Sunday, 9 August 2015

मुझे तुमसे हैं मुहब्बत

माँ के दिल में सदा रहता तू
मुझे तुमसे हैं मुहब्बत
क्यूं नहीं समझता तू
हौलें-हौलें हाथ को थामा था तूनें
दोस्ती का रिश्ता
कितनें प्यार से बांधा था तूनें
सबकी बातें समझ तू
करता हैं अपनें दिल की
मेरी मुहब्बत में बता
कमी कहाँ रही
सबसे न्याय की बातें करीं
मेरे हिस्सें से फिर क्यूं मुँह फेरी
तू सबसे हैं प्यारा
मेरे दिल का यारा
कहूँ तुझसे कैसे भी कुछ
लगता हैं हरदम कुछ रह गया यारा
एक ख्याल का मेरे ख्वाब तू
मेरी जिन्दगी की आस
मेरी एहसास तू
माँ के दिल में सदा रहता तू
मुझे तुमसे हैं मुहब्बत
क्यूं नहीं समझता तू

नितेश वर्मा और तू

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