Friday, 28 August 2015

ये बेफिक्र आसमां पे चलने वाले लोग

ये बेफिक्र आसमां पे चलने वाले लोग
पाँव तले जमीं को कुचलने वाले लोग।

इनको इनकी गिरती औकात दिखा दूँ
आये बातों से मुझे बदलने वाले लोग।

अपने इज्जत के चर्चे शहर में कर दो
भरें रात हिजाबो से खुलने वाले लोग।

हर मौके पे उसके घर को चले जाता हैं
रोज़ अखबारों में ये मिलने वाले लोग।

दिल को उसके घर के पास रख आया
इंतजार में मेरे वो मचलने वाले लोग।

अब तस्वीर से मेरे आँखें हटती नहीं हैं
वर्मा शहर में हम संभलनें वाले लोग।

नितेश वर्मा और लोग।

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