बहन क्या होती हैं? बहन एक एहसास होती हैं, बहन वो नर्म सी ख्याल हैं जिसमें डूब के सारी थकान मिट जाती हैं, रक्षा-बंधन सबके दिलों के करीब होता हैं, हर भाई अपनी बहन के लिये वो एक दिन चुरा लेना चाहता हैं, हर बहन इस दिन को सजा लेना चाहती हैं, बहन और भाई कैसे भी हो एक-दूसरें में ही खुश हो जाते हैं। कुछ ऐसे ही ख्यालों को समेटने की कोशिशें की हैं, कविता शायद बन गयी हैं, सुनियेगा ज़रा।
बहन अक्सर बड़ी होती है
उम्र में चाहे छोटी हो
फिर भी ये बड़ी होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है।
वो जानती है देर रात मैं आऊंगा
इसलिए सबसे चुप
दरवाजा खुला छोड़ देती है
आने पे मेरे हल्की आवाज़ होगी
पापा से बचाने को जगीं रहती है
मुझे अपने पीछे छिपाने को
कोई बात यूं ही बनाने को
बिन प्यास पानी पीने को
वो यूंही जगीं होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
मुझे देख कर मुस्कुराने को
मेरी गलतियाँ छुपाने को
बारिश में भींगी चप्पल
मुझसे बाहर खुलवाने को
अक्सर खड़ी होती है
शाम की गर्म चाय होती है
सर्द रातों की लिहाफ होती है
माँ की आधी एहसास होती है
बहन कितनी नकचढ़ी होती है
ऐसे ही दिल पे अडी होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
छुपा के कुछ बचाती है
नाजाने कबसे जमा करती है
मेरे खुशियों के खातिर
वो अपना गुलल्क तोड़ देती है
खुशियाँ ऐसे वो लूटा देती है
मेरे हर दर्द को मिटा देती है
मुझे परेशां देख रो देती है
कितनी बार जुल्फे सँभालते-सँभालते
खिलखिलाकर बिगाड़ देती है
बहन अक्सर हसीं होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
दूर जब मैं था बरसों उससे
घंटों फोन पे बातें करती थी
कभी हँसाती तो कभी रूलाती
हुई जब वो दूर मुझसे
दहलीज़ें बदली
रोई लिपट बहोत देर मुझसे
बहन अल्फाजों की श्रृंगार होती है
ख्यालों की बारात होती है
हल्की धुन पे जो चलें
खामोशी की आवाज होती है
फिर भी बेपरवाह होती है
अक्सर हम भाई की होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
कुछ भूल जाता है याद आ
कुछ मैं ही खुद भूला देता हूँ
वो अब भी इंतजार करती है
मेरे आने की राह देखती है
मुझे अब फुरसत कहाँ
उल्झा-उल्झा सा रहता हूँ
और वो वक्त की घड़ी होती है
कुछ भी हो यार
बहन अक्सर बड़ी होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है।
नितेश वर्मा
A tribute to all loving sisters. :)
बहन अक्सर बड़ी होती है
उम्र में चाहे छोटी हो
फिर भी ये बड़ी होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है।
वो जानती है देर रात मैं आऊंगा
इसलिए सबसे चुप
दरवाजा खुला छोड़ देती है
आने पे मेरे हल्की आवाज़ होगी
पापा से बचाने को जगीं रहती है
मुझे अपने पीछे छिपाने को
कोई बात यूं ही बनाने को
बिन प्यास पानी पीने को
वो यूंही जगीं होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
मुझे देख कर मुस्कुराने को
मेरी गलतियाँ छुपाने को
बारिश में भींगी चप्पल
मुझसे बाहर खुलवाने को
अक्सर खड़ी होती है
शाम की गर्म चाय होती है
सर्द रातों की लिहाफ होती है
माँ की आधी एहसास होती है
बहन कितनी नकचढ़ी होती है
ऐसे ही दिल पे अडी होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
छुपा के कुछ बचाती है
नाजाने कबसे जमा करती है
मेरे खुशियों के खातिर
वो अपना गुलल्क तोड़ देती है
खुशियाँ ऐसे वो लूटा देती है
मेरे हर दर्द को मिटा देती है
मुझे परेशां देख रो देती है
कितनी बार जुल्फे सँभालते-सँभालते
खिलखिलाकर बिगाड़ देती है
बहन अक्सर हसीं होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
दूर जब मैं था बरसों उससे
घंटों फोन पे बातें करती थी
कभी हँसाती तो कभी रूलाती
हुई जब वो दूर मुझसे
दहलीज़ें बदली
रोई लिपट बहोत देर मुझसे
बहन अल्फाजों की श्रृंगार होती है
ख्यालों की बारात होती है
हल्की धुन पे जो चलें
खामोशी की आवाज होती है
फिर भी बेपरवाह होती है
अक्सर हम भाई की होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है
कुछ भूल जाता है याद आ
कुछ मैं ही खुद भूला देता हूँ
वो अब भी इंतजार करती है
मेरे आने की राह देखती है
मुझे अब फुरसत कहाँ
उल्झा-उल्झा सा रहता हूँ
और वो वक्त की घड़ी होती है
कुछ भी हो यार
बहन अक्सर बड़ी होती है
बहन अक्सर बड़ी होती है।
नितेश वर्मा
A tribute to all loving sisters. :)
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