Friday, 28 August 2015

मैं बेचैन यूं ख्यालें बाँधें चल रहा हूँ

मैं बेचैन यूं ख्यालें बाँधें चल रहा हूँ
गठ्ठर इक सवालें बाँधें चल रहा हूँ।

ईंट दरिया में फेंक कर देखता हूँ
मैं समुन्दर सर पे बाँधें चल रहा हूँ।

तोड़ दूँ उस हर कली को आज मैं
भँवरों की बाज़ारें बाँधें चल रहा हूँ।

मुतमईन चेहरा, दिल फरेबी वर्मा
कातिलाना यारी बाँधें चल रहा हूँ।

नितेश वर्मा और बाँधें चल रहा हूँ।

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