Nitesh Verma Poetry
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Saturday, 15 August 2015
दो दिल ऐसे ही रहता है चुप चुप
सामनें मेरे आ के बैठीं है गुमसुम
दो दिल ऐसे ही रहता है चुप चुप।
नितेश वर्मा और दो दिल
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