मेरे पास तो तेरी हर बातों का जवाब है
मुझसे ना मुँह लग मेरी आदत खराब है।
मैं जिंदा हूँ, तो इक जिद से मिलता रहा
लोग हम मरने के बाद तो बस राख है।
मैं जानता हूँ इक दिन मुठ्ठी में होंगे सब
मेरे निगाहों में तो आज बस ये सराब है। [सराब = मृग-मृचिका]
जिन राहों पे धुँआ था आज वहाँ ख्वाब है
बच्चों से जा के पूछो यही तो इंकलाब है।
नितेश वर्मा और मेरी आदत खराब है।
मुझसे ना मुँह लग मेरी आदत खराब है।
मैं जिंदा हूँ, तो इक जिद से मिलता रहा
लोग हम मरने के बाद तो बस राख है।
मैं जानता हूँ इक दिन मुठ्ठी में होंगे सब
मेरे निगाहों में तो आज बस ये सराब है। [सराब = मृग-मृचिका]
जिन राहों पे धुँआ था आज वहाँ ख्वाब है
बच्चों से जा के पूछो यही तो इंकलाब है।
नितेश वर्मा और मेरी आदत खराब है।
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