Sunday, 9 August 2015

के जब तक जिंदा हूँ मैं इक पागल हूँ वर्मा

तो सुनों मेरी इन ख्वाहिशों को भी दबा दो
फिर मेरे मरने के बाद इनको भी जला दो।

के जब तक जिंदा हूँ मैं इक पागल हूँ वर्मा
चुप हो जाउँ तो फिर कहीं और दफना दो।

नितेश वर्मा और कहीं और

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