Monday, 17 August 2015

जीं चाहें जितना हंगामा बरपा के देख लो

जीं चाहें जितना हंगामा बरपा के देख लो
पर मुझे इक बार अपना बना के देख लो।

कोई शिकायत लब पे आके ठहर जाती है
चाहत के अपनी बाहों में बसा के देख लो।

मुहब्बत सौदे के बाज़ार से होके गुजरीं है
उसकी हाल को उससे छुपा के देख लो।

ताउम्र फासला रहा जिसके चेहरे से वर्मा
दिल कह रहा उसे अब भूला के देख लो।

नितेश वर्मा और देख लो।

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