आँखों से आँसू ढल जाये तो अच्छा हैं
गुलाब के सूखनें से पहलें
किताब उठ जायें तो अच्छा हैं
तस्वीर उसकी किसी किताब में पडी हैं
कोई ये किताब ले के जाये तो अच्छा हैं
उसको याद करके रात गुजरती हैं
अखबारों सी कोई शाम हो जाये
तो अच्छा हैं
मुझे यकीन हैं बारहा के वो आऐगी
इस बात से पर्दा उठ जाये तो अच्छा हैं
आँखों से आँसू ढल जाये तो अच्छा हैं।
नितेश वर्मा
गुलाब के सूखनें से पहलें
किताब उठ जायें तो अच्छा हैं
तस्वीर उसकी किसी किताब में पडी हैं
कोई ये किताब ले के जाये तो अच्छा हैं
उसको याद करके रात गुजरती हैं
अखबारों सी कोई शाम हो जाये
तो अच्छा हैं
मुझे यकीन हैं बारहा के वो आऐगी
इस बात से पर्दा उठ जाये तो अच्छा हैं
आँखों से आँसू ढल जाये तो अच्छा हैं।
नितेश वर्मा
No comments:
Post a Comment