Sunday, 23 August 2015

आँखों से आँसू ढल जाये तो अच्छा हैं

आँखों से आँसू ढल जाये तो अच्छा हैं
गुलाब के सूखनें से पहलें
किताब उठ जायें तो अच्छा हैं
तस्वीर उसकी किसी किताब में पडी हैं
कोई ये किताब ले के जाये तो अच्छा हैं
उसको याद करके रात गुजरती हैं
अखबारों सी कोई शाम हो जाये
तो अच्छा हैं
मुझे यकीन हैं बारहा के वो आऐगी
इस बात से पर्दा उठ जाये तो अच्छा हैं
आँखों से आँसू ढल जाये तो अच्छा हैं।

नितेश वर्मा

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