Wednesday, 5 August 2015

उसको कुछ और ही कहना था

उसको कुछ और ही कहना था
यूं दर्दे-दिल को नहीं सहना था।

अब वो रोती हैं हर पहर बैठकें
ऐसे तो उसको नहीं रहना था।

हमने कब कहा हलक में जां हैं
आँखों को जब यूंही बहना था।

परेशां हैं तो खफा रहती है वो
तस्वीर मेरा जिसका गहना था।

मंजूर हैं हमें भी तू हर हाल में
वर्मा दुआओं में जिसे पहना था।

नितेश वर्मा और कहना था

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