अश्क़ आँखों में भरकर वो बहा देता है
जब भी पूछा है हश्र-ए-मुहब्बत क्या है?
दिल की बातों से वो दर्द बयाँ करता है
ज़ुबानी बोले कुछ उसकी ज़ुर्रत क्या है?
इश्क़ से इश्क़ की रुदाद ना पूछे कोई
भ्रम रख ले इश्क़ और नफ़रत क्या है?
हर तरफ़ तमाशा है दिल टूटने भर का
यही हैं चोंचले फ़िर ये मरम्मत क्या है?
यही उसूल है मुहब्बत में आशिक़ों का
दूजा मना लेगा फ़िर हिकायत क्या है?
वो याद आती है इतना भूल जाता हूँ मैं
जिस्म में उसके सिवा हरकत क्या है?
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
जब भी पूछा है हश्र-ए-मुहब्बत क्या है?
दिल की बातों से वो दर्द बयाँ करता है
ज़ुबानी बोले कुछ उसकी ज़ुर्रत क्या है?
इश्क़ से इश्क़ की रुदाद ना पूछे कोई
भ्रम रख ले इश्क़ और नफ़रत क्या है?
हर तरफ़ तमाशा है दिल टूटने भर का
यही हैं चोंचले फ़िर ये मरम्मत क्या है?
यही उसूल है मुहब्बत में आशिक़ों का
दूजा मना लेगा फ़िर हिकायत क्या है?
वो याद आती है इतना भूल जाता हूँ मैं
जिस्म में उसके सिवा हरकत क्या है?
नितेश वर्मा
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