वो कविता थी मेरी उदास सी
जिनपर हर्फ़ बेज़ुबान रहते
जिसपर ख़ामोशी तामीर होती
और लड़खड़ाती चल फिरती
जब आँसू क़तार ढ़ूंढ़ते थे
नमीं जब आसमान में होती
दिल भटक जाता था कहीं
चाय की चुस्कियाँ जब
बेमन हलक से उतर जाती
ज़ेहन में उसकी वो
मासूम सी शक्ल फ़िर ढ़ल जाती।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
जिनपर हर्फ़ बेज़ुबान रहते
जिसपर ख़ामोशी तामीर होती
और लड़खड़ाती चल फिरती
जब आँसू क़तार ढ़ूंढ़ते थे
नमीं जब आसमान में होती
दिल भटक जाता था कहीं
चाय की चुस्कियाँ जब
बेमन हलक से उतर जाती
ज़ेहन में उसकी वो
मासूम सी शक्ल फ़िर ढ़ल जाती।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
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