Tuesday, 4 July 2017

उसका लिखना उतना ही जायज़ है

उसका लिखना उतना ही जायज़ है
जितना किसान का पुराने झाड़ को उखाड़कर नये बीज लगाना
एक माली का पेड़ से उसके डाली को काटकर उसके पत्तों को हटा देना
तपती दोपहर से बच्चे को डपटकर माँ का उसे घर में बंद कर देना
ज़ख़्म को सहकर कराहते रहना बुज़दिली है
उसने अपनी चीख़ की जगह कलम उठाईं है
उसका लिखना उतना ही जायज़ है
जितना आपका किसान, माली और माँ बन जाना
ताकि आप ये समझ सके कि उसकी ज़ुबान उससे कुछ ग़लत नहीं लिखवा रही।

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry

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