Tuesday, 4 July 2017

जब आसमान में तारें समुंदर बनाते हैं

जब आसमान में तारें समुंदर बनाते हैं
कई दिल ज़मी पर बेधड़क धड़कते हैं
चाँद जब उनके बीच आकर थमता है
एक कश्ती सा दिखता है सबकुछ
जब मध्यम-मध्यम हवा टहलती है
जब तारें झिलमिलाकर ठहर जाते हैं
चाँद जब खुलता है स्याह बादलों में
भंवर जब आँखों में बन जाती है मेरी
एक उसका नाम दुहराता है लब
फ़िर ख़ामोश हो जाती है बहकती रात।

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry

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