Tuesday, 4 July 2017

यूं ही एक ख़याल सा..

यार मुझे ग़लत मत समझो!
और क्या समझूं मैं तुम्हें.. तुम्हीं बताओ उसे क्या समझना चाहिए जो किसी काम का ना हो?
दुनिया में सारी चीज़ें काम की नहीं होती फ़िर भी होती तो हैं ना.. किसी काम का नहीं होना इसका ये मतलब नहीं कि वो कोई अहमियत नहीं रखता है।
उलझाओ मत मुझे!
सीधी बात कही है मैंने।
हाँ! तुम्हारी हर सीधी बात मुझे उल्टी लगती हैं मुझमें ही कोई दोष है.. नहीं?
मैंने ऐसा कब कहा?
नहीं कहा.. तो अब कह दो! जी खोलकर कहो.. ख़ूब कहो और जल्दी कहो और कहकर दफ़ा हो जाओ!
बिना कुछ कहें रूठी हुई हो.. ज़बान खोलूंगा तो जान तक निकाल लोगी.. पता है मुझे।

नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry #YuHiEkKhyaalSa

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