अंग्रेजी के इश्क़ की हाय! हूँ मैं
जवाबी मुख़्तसर बाय! हो तुम।
एक उदास हर्फ़ में लिखी हूँ मैं
हज़ारों मानी में समाय हो तुम।
दफ़्तर से लौटी थककर जो मैं
सुकूँ से मिले, वो चाय हो तुम।
तेरे दिल-ए-क़िताब पर थी मैं
सुनके कितना घबराय हो तुम।
ज़ख़्मी! मुझमें बारहां हुयी मैं
मरहम तो नाम बराय हो तुम।
उस शहर का पुराना मकाँ मैं
तमाम बस्ती के सराय हो तुम।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
जवाबी मुख़्तसर बाय! हो तुम।
एक उदास हर्फ़ में लिखी हूँ मैं
हज़ारों मानी में समाय हो तुम।
दफ़्तर से लौटी थककर जो मैं
सुकूँ से मिले, वो चाय हो तुम।
तेरे दिल-ए-क़िताब पर थी मैं
सुनके कितना घबराय हो तुम।
ज़ख़्मी! मुझमें बारहां हुयी मैं
मरहम तो नाम बराय हो तुम।
उस शहर का पुराना मकाँ मैं
तमाम बस्ती के सराय हो तुम।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
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