चंद चमकते तारे आसमां से उधार लेके
ज़ेब में कुछ ख़नकती रोशनी भर ली है
उंगलियों की ताकत को मुट्ठी में भर के
एक क़िस्से की दास्ताँ हमने भी कही है
एक शनिवार की रात तन्हा गुजार कर
इतवार का बेसब्र इंतज़ार भी तो की है
इस सफ़र पर कइयों ज़ख़्म चीख़े मेरे
मंज़िल दर मंज़िल हमने ज़हरों सही है
चंद चमकते तारे आसमां से उधार लेके।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
ज़ेब में कुछ ख़नकती रोशनी भर ली है
उंगलियों की ताकत को मुट्ठी में भर के
एक क़िस्से की दास्ताँ हमने भी कही है
एक शनिवार की रात तन्हा गुजार कर
इतवार का बेसब्र इंतज़ार भी तो की है
इस सफ़र पर कइयों ज़ख़्म चीख़े मेरे
मंज़िल दर मंज़िल हमने ज़हरों सही है
चंद चमकते तारे आसमां से उधार लेके।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
 
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