इक पारदर्शिता थी उसकी स्याह आँखों में
जब पहली बार उसने वो बात कही थी
जब पहली बार उसने वो व्यक्त किया था
मटमैले हाथों से जब उसने थामा था मुझे
जब कलेजे से लगाकर भींच लिया था मुझे
मेरे अवाक्पन को इक स्थिरता दी थी
जब पहली बार
मेरे पिता ने मुझे उससे यूं मिलावाया था
उसने पहली और अंतिम बार ये कहा था
बेटा! माँये सौतेली नहीं हुआ करती कभी..
माँये तो बस माँ हुआ करती हैं
औरतों की नियत उन्हें सौतेली बनाती है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
जब पहली बार उसने वो बात कही थी
जब पहली बार उसने वो व्यक्त किया था
मटमैले हाथों से जब उसने थामा था मुझे
जब कलेजे से लगाकर भींच लिया था मुझे
मेरे अवाक्पन को इक स्थिरता दी थी
जब पहली बार
मेरे पिता ने मुझे उससे यूं मिलावाया था
उसने पहली और अंतिम बार ये कहा था
बेटा! माँये सौतेली नहीं हुआ करती कभी..
माँये तो बस माँ हुआ करती हैं
औरतों की नियत उन्हें सौतेली बनाती है।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
No comments:
Post a Comment