हथेलियों में भरकर तेरे चेहरे को मैं यूँ
गुलाल की गुलाबी रंग तुझपे बिखेर दूँ।
तेरी ज़ुल्फ़ों में इक घनी छांव है जाना!
उसकी चाँदनी में मैं ख़ुदको धुंध कहूँ।
आसमान में इक रात तारे सरहाने ले
इक दास्तान सा मैं तेरे जिसम में बहूँ।
अग़र कहते हैं इश्क़ में इम्तिहान हो
इश्क़ मुकम्मल हो तो.. सारे दर्द सहूँ।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
गुलाल की गुलाबी रंग तुझपे बिखेर दूँ।
तेरी ज़ुल्फ़ों में इक घनी छांव है जाना!
उसकी चाँदनी में मैं ख़ुदको धुंध कहूँ।
आसमान में इक रात तारे सरहाने ले
इक दास्तान सा मैं तेरे जिसम में बहूँ।
अग़र कहते हैं इश्क़ में इम्तिहान हो
इश्क़ मुकम्मल हो तो.. सारे दर्द सहूँ।
नितेश वर्मा
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