Tuesday, 4 July 2017

यूं ही एक ख़याल सा- हर ड़ोर जोड़ा है तुमसे

अंगन का दाख़िला मेडिकल कॉलेज में हो चुका था। आज पहला दिन था उसका कॉलेज में.. सुबह से वो कई बार अपने कपड़ों को लेकर जद्दोजहद में उलझी थी कि आज वो कौन सा सूट पहनकर कॉलेज जाये। हर बार वो सूट पहनती और सुभी को व्हाटस-अप करके पूछती- ये कैसा लग रहा है?
सुभी कहती अच्छी लग रही हो.. तो फ़िर वो ख़ुद बात काट कर कहती नहीं यार सूट कलर मुझसे मैच नहीं कर रहा, तो कभी कहती बालों की पकड़ उलझ रही है.. ऐसे ही कभी कुछ.. तो कभी कुछ।
अंगन जब ख़ुद की आफ़तों से परेशान हो गई तो अपने पापा का दिया सूट निकाला और पहनकर कहा- पापा! आप तो मेरा पीछा छोड़ते ही नहीं.. आज भी.. और मुस्कुराते हुए कॅालेज निकल गई।
अंगन कॅालेज पहुँच चुकी थी, मगर सुभी को आने में अभी कुछ देर थी। अंगन ने सोचा सुभी से फ़ोन पर बात करके सर ख़पाने से अच्छा है कि वो यहीं उसका इंतज़ार कर ले और वो वहीं बाहर कॅालेज के कारेडोर में उसका इंतज़ार करने लगी। कभी कुछ कदम चलती तो कभी थक कर वहीं बैठ जाती।
थोड़ी देर बाद सुभी आ गयी.. इंतज़ार का लम्हा ख़त्म हुआ और दोनों कॅालेज के अंदर चली गयी।
दोनों पीछे जाकर एक बैंच पर बैठे ही थे कि एक लड़का दौड़ता हुआ आकर धड़ाम से अंगन के पास बैठ गया। अंगन घबराई लेकिन फेक्लटी को अंदर आता हुआ देखकर कुछ कहा नहीं बस आँखें गुरेरी और फ़िर सर किताब में लगा लिया। लड़के ने बड़े संजीदगी से कहा- आई एम सॅारी।
अंगन चुप रही.. सुभी ने हल्के से मुस्कुरा दिया।
लड़के ने फ़िर कहा- आपसे कह रहा हूँ?
अंगन ने सर उठाकर देखा और फ़िर उलझकर कहा- इट्स ओके! फ़िर नज़रे झुकाकर किताब में कुछ ढ़ूंढ़ने लगी।
लड़के ने फ़िर उससे कहा- एक्सक्यूज़ मी!
अंगन ने किताब देखते हुए कहा- कहो!
आप अपनी किताब मुझे देंगी?-लड़के ने पूछा।
नहीं.. मुझे ख़ुद पढ़ना है। ये कहते हुए अंगन सुभी के पास थोड़ा और ख़िसक गयी।
लड़के ने ये हरकत देखी तो कहा- अछूत नहीं हूँ मैं।
ये सुनकर दोनों खिलखिला पड़ी। सर ने नोटिस किया और उनको क्लास से बाहर भेज दिया और लड़के से कहा- यू आर ए ब्रिलियेन्ट स्टूडेंट इसलिए इस बार माफ़ कर रहा हूँ.. अगली बार से ये बर्दाश्त नहीं करूँगा मैं।
बड़ा आया ब्रिलियेन्ट बुक्स लेकर तो आया नहीं था और ऊपर से लेट भी था.. कमीने ने पहले दिन ही क्लास से बाहर करवा दिया।- अंगन ने सुभी की तरफ़ देखते हुए कहा।
अरे ऐसा नहीं है वो।- सुभी ने बात काटते हुए कहा।
तो फ़िर?- अंगन ने फ़िर सवाल किया।
वो बेचारा अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाईम जॅाब भी करता है.. तो ये लेट और बुक्स का कुछ कर नहीं पाता।- सुभी ने कहा।
ख़ैर, कुछ भी हो.. सुबह-सुबह मूड ख़राब कर दिया।- अंगन ने बालों को सुलझाते हुए कहा।
चल, कुछ खाते है अगली लेक्चर में वापस चलेंगे। दोनों कैंटिन चले जाते हैं।
अगली लेक्चर में वो लड़का नहीं था.. अंगन ने नोटिस किया मग़र सुभी से कुछ कहा नहीं।
अगली सुबह फ़िर अंगन पहले आ चुकी थी और सुभी का इंतज़ार कर रही थी। वो कुछ गुस्से में थी कि तभी वहाँ वो लड़का आ गया। आकर कहा- सॅारी.. कल के लिए, मेरी ग़लती थी।
अंगन को सुभी की बात याद आयी और वो चुप रह गयी। लड़के ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया अंगन का मन ना होते हुए भी उसने उस बढ़ाएँ हुए दोस्ती का हाथ थाम लिया। दोनों की दोस्ती चल पड़ी.. अंगन अब कॅालेज आकर सुभी का नहीं उस लड़के का.. सॅारी लड़का यानी विकल्प का.. इंतज़ार करने लगी। दोस्ती उम्र में बढ़ने लगीं.. नजदीकियां बढ़ने लगीं.. क़िस्से भी फ़ैलने लगे.. आख़िर में आकर दोनों ने उस मुहब्बत को दिल ही दिल में कुबूल कर लिया।
एक रोज़ सुबह अंगन विकल्प का इंतज़ार कर रही थी कि तभी उसने सामने देखा कि विकल्प सुभी के साथ उसके गाड़ी में आ रहा था। अंगन को ये बात बहुत बुरी लगी उसने विकल्प को बहुत कड़वा सुनाया। विकल्प ख़ामोशी से सब सुनता रहा.. सुभी ने ये सब देखा तो रोते हुए वहाँ से भाग गयी। कई दिनों तक तीनों कॅालेज नहीं गए। अंगन अपनी गाँव चली गयी.. विकल्प ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और एक कम्पनी में फुल-टाईम जॅाब करने लगा। अंगन का दिल गाँव में लगा नहीं वो कुछ दिनों बाद वापस शहर लौट आयी। कॅालेज कई दिनों तक फ़िर भी नहीं गयी.. एक रोज़ वो बाज़ार से लौट रही थी तो उसने देखा विकल्प सामने से आ रहा था.. अंगन ने गुस्से में जाकर उसे एक थप्पड़ मारा और रोते हुए वहां से चली गयी। विकल्प उसके पीछे भागा, लेकिन अंगन ने उसे अपनी कसम दी और वो वहीं से वापस लौट गया।
विकल्प ने सुभी को सारा वाक़िया सुनाया और उससे मदद की बात कही। सुभी ने अगली सुबह अंगन से बात करनी चाहीं अंगन ने उसे मना कर दिया। सुभी नहीं मानी और बोलती चली गई- विकल्प तुझसे मुहब्बत करता है.. उस दिन भी वो तुझसे अपनी दिल की बात को ज़ाहिर करने आया था.. तुझसे शादी करना चाहता था वो। वो तेरे बग़ैर नहीं जी सकता है, उसने तेरे सिवा किसी और को नहीं चाहा है.. मगर तू किस्मत की मारी है.. तुझे ये अब समझ में नहीं आयेगा। विकल्प की शादी जबरदस्ती उसके चाचा ने कहीं तय कर दी है, वो पैसों पर उसका सौदा कर रहे हैं और तू उसपर अब भी शक़ करती है।
अंगन को होश हुआ वो दौड़कर विकल्प को ढ़ूंढ़ने भागी, मगर विकल्प मिला नहीं। वो हारकर रात में अपने हास्टल पहुँची.. वहाँ पहले से ही विकल्प खड़ा था। अंगन ने विकल्प को देखा और दौड़कर उससे गले जा लगीं और रोने लगी। उससे पूछा कहा चले गए थे तुम विकल्प?
विकल्प ने कहा मैं तो यहीं था तुम्हारे वापस लौटकर आने के इंतज़ार में। मैं और कहाँ जाऊँगा मैंने तो.. हर डोर जोड़ा है तुमसे।
अंगन ख़ामोशी से और गहरे होकर विकल्प के सीने से लग गई।

नितेश वर्मा
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