इक अदद ज़िक्र उसका
सौ बहाने मेरे
दिल ये कहना ना माने
हाय! हुए दीवाने तेरे
उठता है धुआं सीने से
शाम जलते ही
होते कई अफ़साने मेरे
लिपटा उसके ख़्वाब से
जिस्म तन्हाइयों का ये
नींद मेरी.. तराने तेरे
खो चुका हूँ मैं उसको
जान गई मेरी जनाजे तेरे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
सौ बहाने मेरे
दिल ये कहना ना माने
हाय! हुए दीवाने तेरे
उठता है धुआं सीने से
शाम जलते ही
होते कई अफ़साने मेरे
लिपटा उसके ख़्वाब से
जिस्म तन्हाइयों का ये
नींद मेरी.. तराने तेरे
खो चुका हूँ मैं उसको
जान गई मेरी जनाजे तेरे।
नितेश वर्मा
#Niteshvermapoetry
No comments:
Post a Comment