Tuesday, 4 July 2017

कुलसूम

ऐसे चोरी-छिप्पे ना तू मुझसे मिलने ना आया कर। सबकी नज़रें रहती हैं मुझपर। अब मुँह मत लटका ऐसे। सुन! मेरी तरफ देख.. ख़ुदा ना ख़ास्ता अग़र किसी ने ख़्वाब में भी एक बार हम दोनों को ऐसी हालत में देख लिया ना तो बात का बतंगड़ बना देंगे।
अरे यार! तू डरती कितना है? कुछ नहीं होगा हम दोनों को.. ख़ासकर तुझे। मैं सबसे लड जाऊँगा तेरी ख़ातिर। तू मुहब्बत में यकीन तो रखती है ना?
भला ये कैसा सवाल है? रखती ना होती तो तुझसे मुहब्बत थोड़ी ही ना कर बैठती।
फ़िर ऐसी उल-जुलूल की बातें करना अब छोड़ दे। देख! मुहब्बत बहुत हसीन सी चीज़ है इसे समझने की कोशिश कर। ज़माने का क्या है ये तो हमेशा से हमपर थूकती आ रही है और हमेशा थूकती भी रहेगी।
ये कुछ ग़लत तो नहीं? फ़िर भी लोग इसपर थूकते हैं? मैंने तो सुना था कि मुहब्बत अल्लाह के मरज़ी से होता है और वो भी लाखों में से कोई एक इस मुहब्बत को निभाने के क़ाबिल होता है। ये तो अल्लाह की देन है.. और नफ़रत के बजाय अग़र मुहब्बत कर बैठो तो इसमें थूकने वाली कौन सी बात है? मुझे तो समझ नहीं आता।
देख अब तू नाराज़ मत हो। मैं तेरे ख़ातिर इतनी रात छर्दवाली पार करके आया हूँ। अब अपना मूड अच्छा कर और मुझे मुस्कुरा के दिखा।
मैं नहीं मुस्कुराती इतनी बे-फिज़ूलियत के बातों के बाद। तू ही दिखा दे अपनी बत्तीसी और खुश हो जा।
अच्छा अब मान भी जा। आज से सारी बकवासें बंद.. बस तेरे ख़ातिर कसम से।
हुम्म्म्म! अब आया ना लाईन पर।
लाईन?
अरे जा ये सब ना तेरे समझ से बाहर की बात है। लाईन समझता नहीं और इश्क़ निभाने चला है.. बड़ा आया। हुम्म्म्म!
अच्छा ना! अब छोड़ भी तू.. कहाँ अटका के रख दिया है तूने मुझे। ये देख मैं तेरे लिए क्या लाया हूँ?
क्या है ये?
ख़ुद खोल के देख।
नहीं.. मैं नहीं देखती पिछली बार की तरह इस बार भी इसमें कोई पप्पी हुआ तो.. ना बाबा मुझसे नहीं संभलते ये कुत्ते के बच्चे। तू ही रखा कर अपने पास तेरे ही बिरादरी के है ये सब.. मुझे तो थोड़े भी पसंद नहीं। चल अब जा! देख कितनी रात हो गई है।
नहीं! मैं नहीं जाता जबतक तू इसे खोल के नहीं देखती मैं तो यहाँ से हिलने वाला भी नहीं।
देख तू जा अभी, मैं बाद में देख लूंगी कोई ऊपर आ रहा है।
Promise?
पक्का वाला Promise, अब तू भाग जल्दी।
देख लेना हअ।
हाँ! बाबा.. जा अब।
एक बात बता ये कुलसूम का अर्थ पता है तुझे?
नहीं।
अपने नाम का अर्थ नहीं पता? पता कर.. और सुन उसमें कुछ कुलसूम जैसा ही है। यकीन मान ले तेरी कसम।
चल जा! बहाने ना बना। देख लूंगी मैं इस कुलसूम को।

नितेश वर्मा

#Niteshvermapoetry #YuHiEkKhyaalSa

No comments:

Post a Comment