..बातें वो अक्सर बनाया करता था..
..दिलों पे हमारें हक जताया करता था..
..किसी अपनों की तालाश में..
..वो भटका करता था..
..मुहब्बत में हमसे..
..वो ये जताया करता था..
..वो दोस्त था हमनवा था हमारा..
..किया था जो मुक्करर मुहब्बत..
..वो किताब था हमारा..
..वो आँखों में हमारें बसा करता था..
..ज़िद में हमारें बसा करता था..
..वो ज़िन्दगी थीं हमारी..
..हमारें लबों पे वो बसा करता था..
..बातें वो अक्सर बनाया करता था..
..दिलों पे हमारें हक जताया करता था..!
..दिलों पे हमारें हक जताया करता था..
..किसी अपनों की तालाश में..
..वो भटका करता था..
..मुहब्बत में हमसे..
..वो ये जताया करता था..
..वो दोस्त था हमनवा था हमारा..
..किया था जो मुक्करर मुहब्बत..
..वो किताब था हमारा..
..वो आँखों में हमारें बसा करता था..
..ज़िद में हमारें बसा करता था..
..वो ज़िन्दगी थीं हमारी..
..हमारें लबों पे वो बसा करता था..
..बातें वो अक्सर बनाया करता था..
..दिलों पे हमारें हक जताया करता था..!