Friday, 4 April 2014

..जो मैं नाकारा हूँ..

..मुहब्बत में हैं किसने कमाया..
..जो मैं नाकारा हूँ..
..इश्क की बाज़ियों में खडा..
..क्यूं ये मैं बेसहारा हूँ..
..हराया गया हूँ ज़िस मुकाम से..
..ज़ीत का सफ़र अब आसान नहीं..
..इस मुहब्बत में मैंनें जो लुटायां हैं..
..मेरी मौत से वो आसान नहीं..
..क्यूं सताया गया हूँ इश्क के दर्द से..
..ज़िन्दगी जीना अब ये आसान नहीं..
..सयाना साथी मुहब्बत में मुझे अब गवाराँ नहीं..
..दर-बदर जो मैं सताया गया हूँ..
..मुहब्बत में हैं किसने कमाया..
..जो मैं नाकारा हूँ..
..इश्क की बाज़ियों में खडा..
..क्यूं ये मैं बेसहारा हूँ..!


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