Saturday, 19 April 2014

..गुज़र के गया जो वक्त..

..गुज़र के गया जो वक्त..
..अब फ़िर ना आऐगा..
..दिल से मेरे जो निकल गया..
..वो महबूब फ़िर ना आऐगा..
..हाथों से मेरे हो गया जो अपराध..
..ज़ुर्म वो दिखानें वक्त फ़िर ना आऐगा..
..हो गया हैं सबकुछ मेरे हक से बाहर..
..दिल ये बतानें फ़िर ना जगाने ना आऐगा..
..मेरे खूबसूरत पल..
..फ़िर से मुझे रिझांनें ना आऐगा..
..हो गया मैं वक्त पें मेहरबां..
..वक्त फ़िर से मुझे सताने ना आऐगा..
..गुज़र के गया जो वक्त..
..अब फ़िर ना आऐगा..
..दिल से मेरे जो निकल गया..
..वो महबूब फ़िर ना आऐगा..!


No comments:

Post a Comment