[1] ..समझ मेरे मन की बात तु चुप रह जा..
..दुनियाँ सुनती है तो तमाशा बना देती हैं..!
[2] ..अब चलो ज़िन्दगी को दरकिनारें किएं चलता हूँ..
..दिल देखों..
..मौत की रात मैं आशिकी किएं चलता हूँ..!
[3] ..हूनर हैं ये मेरा मैं जो ज़मानें में चमकता हूँ..
..तुमनें तो मुझे कंगाल ही समझा था..!
[4] ..शायद तुम ही थें मेरे दोस्त जो शायर बने फ़िरतें थें..
..भरी महफ़िल उसनें तुम्हें अपना महबूब बता दिया..!
..दुनियाँ सुनती है तो तमाशा बना देती हैं..!
[2] ..अब चलो ज़िन्दगी को दरकिनारें किएं चलता हूँ..
..दिल देखों..
..मौत की रात मैं आशिकी किएं चलता हूँ..!
[3] ..हूनर हैं ये मेरा मैं जो ज़मानें में चमकता हूँ..
..तुमनें तो मुझे कंगाल ही समझा था..!
[4] ..शायद तुम ही थें मेरे दोस्त जो शायर बने फ़िरतें थें..
..भरी महफ़िल उसनें तुम्हें अपना महबूब बता दिया..!
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