..मैंनें शहर बदल दिया पेट में आग अभ्भी बाकी हैं..
..जिस शहर मैं गया सुना धांधली अभ्भी बाकी हैं..
..लोग शहर के सारें ज़ुल्म के सताएं हुएं हैं..
..रातों में अपराध इस शहर अभ्भी बाकी हैं..
..मैं नहीं कहता मैं हूँ दूध का धुला..
..लेकिन दिल में इंसानियत और होंठों पे नाम..
..हे राम तुम्हारा अभ्भी बाकी हैं..
..सितम शहर के सारें मेरे हिस्सें वालें अभ्भी बाकी हैं..
..इंतज़ार नहीं अब हर शाम की..
..नौकरी की तलाश इस शहर अभ्भी बाकी हैं..
..क्या हैं बात सरकारी तो दूर..
..स्वयंचालित संस्था भी हाथ से अभ्भी बाकी हैं..
..किस्मत हैं या यें राज़नीति का छलावा..
..जो युवा देश रोज़गार से अभ्भी बाकी हैं..
..सारें शहर में ये किस्सें ज़ारी हैं..
..बेमतलब में लिख रहा एक शख़्स अभ्भी बाकी हैं..
..मैंनें शहर बदल दिया पेट में आग अभ्भी बाकी हैं..
..जिस शहर मैं गया सुना धांधली अभ्भी बाकी हैं..!
..जिस शहर मैं गया सुना धांधली अभ्भी बाकी हैं..
..लोग शहर के सारें ज़ुल्म के सताएं हुएं हैं..
..रातों में अपराध इस शहर अभ्भी बाकी हैं..
..मैं नहीं कहता मैं हूँ दूध का धुला..
..लेकिन दिल में इंसानियत और होंठों पे नाम..
..हे राम तुम्हारा अभ्भी बाकी हैं..
..सितम शहर के सारें मेरे हिस्सें वालें अभ्भी बाकी हैं..
..इंतज़ार नहीं अब हर शाम की..
..नौकरी की तलाश इस शहर अभ्भी बाकी हैं..
..क्या हैं बात सरकारी तो दूर..
..स्वयंचालित संस्था भी हाथ से अभ्भी बाकी हैं..
..किस्मत हैं या यें राज़नीति का छलावा..
..जो युवा देश रोज़गार से अभ्भी बाकी हैं..
..सारें शहर में ये किस्सें ज़ारी हैं..
..बेमतलब में लिख रहा एक शख़्स अभ्भी बाकी हैं..
..मैंनें शहर बदल दिया पेट में आग अभ्भी बाकी हैं..
..जिस शहर मैं गया सुना धांधली अभ्भी बाकी हैं..!
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