Sunday, 13 April 2014

..वो आँखों से शरारत कर गयी..

..वो आँखों से शरारत कर गयी..
..भरी महफ़िल वो मुझकों शराबी कर गयी..
..चाहता था इज़हार करू मैं अपनी मुहब्बत का..
..वो चेहरें से अपने मुझे दीवाना कर गयी..
..सामनें जब थी खडी वो मेरे..
..होंठों से मुझकों बेइमानी कर गयी..
..इस कदर मैं परेशां सा हुआ..
..सीनें से लगा था सर उनका..
..और मैं बेहिसाबी शर्मसार हुआ..
..क्या हुआ जो दिल में ना बसा..
..आँखों में सजाँ तो क्यूं शर्मिन्दा हुआ..
..वो आँखों से शरारत कर गयी..
..भरी महफ़िल वो मुझकों शराबी कर गयी..!


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