[1] ..रूठ गया हूँ मैं इस ज़मानें से..
..मनानें को शायद मुझे अब ज़मींदार आए..
..मैं ना मानूगाँ तब-तक..
..जब-तक हर्ज़ाना भरनें मेरे राम ना आए..
[2] ..मेरी मौत ने कहा मुझसे..
..कोई बहाना अब स्वीकार नहीं वर्मा..
..अब उबरने को जी चाहता हैं..
..ये उबन भरी ज़िन्दगी से..!
[3] ..और कुछ सुनाता मैं..
..इससे पहले वो बोल उठें..
..ज़ाना नाम ना लेना मेरा..
..वर्ना महफ़िल ये रो पडेगी..!
[4] ..हाथों में हाथ दे वो फ़रेब कर गया..
..पता ना गले लगाया होता तो क्या होता वर्मा..!
..मनानें को शायद मुझे अब ज़मींदार आए..
..मैं ना मानूगाँ तब-तक..
..जब-तक हर्ज़ाना भरनें मेरे राम ना आए..
[2] ..मेरी मौत ने कहा मुझसे..
..कोई बहाना अब स्वीकार नहीं वर्मा..
..अब उबरने को जी चाहता हैं..
..ये उबन भरी ज़िन्दगी से..!
[3] ..और कुछ सुनाता मैं..
..इससे पहले वो बोल उठें..
..ज़ाना नाम ना लेना मेरा..
..वर्ना महफ़िल ये रो पडेगी..!
[4] ..हाथों में हाथ दे वो फ़रेब कर गया..
..पता ना गले लगाया होता तो क्या होता वर्मा..!
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