Friday, 25 April 2014

..हवाऐं बेरुख होकर जानें लगी..

..हवाऐं बेरुख होकर जानें लगी..
..तुमनें साथ छोडा..
..और ये बहक जानें लगी..

..मैं मदमस्त रहता था तेरे नैंनों के सहारें..
..तुमनें अपनी ज़ुल्फ़ें झुकाईं..
..और सितम मुझपे ढानें लगी..

..सहारें तेरे मैं इस भीड में था खडा..
..तुमनें साथ जो झुकायां..
..कदम बहक जानें लगी..

..अब किसी मंज़िल की तरफ़ मेरा रूख नहीं होगा..
..दिलों में जो दर्द अब घर कर जानें लगी..

..हवाऐं बेरुख होकर जानें लगी..
..तुमनें साथ छोडा..
..और ये बहक जानें लगी..!


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