..क्या हुआ जो मैं नासमझ निकल गया..
..गर सयाना भी होता तो तेरा ही होता..!
..दिल खुश हो जाता हैं बस तेरे एक ज़िक्र से..
..गर तु पास होता तो क्या होता..!
..बेबकूफ़ बनाया गया हूँ या बना फ़िरता हूँ..
..आशिकी में तेरे ये मैं क्या किए फ़िरता हूँ..!
..अब नासमझ ही होना सही हैं..
..सयानों पे ज़ुर्म कुछ ज़्यादा ही हुआ करता हैं..!
..गर सयाना भी होता तो तेरा ही होता..!
..दिल खुश हो जाता हैं बस तेरे एक ज़िक्र से..
..गर तु पास होता तो क्या होता..!
..बेबकूफ़ बनाया गया हूँ या बना फ़िरता हूँ..
..आशिकी में तेरे ये मैं क्या किए फ़िरता हूँ..!
..अब नासमझ ही होना सही हैं..
..सयानों पे ज़ुर्म कुछ ज़्यादा ही हुआ करता हैं..!
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