Wednesday, 23 April 2014

..दिल से फ़िर हम तुम्हें मिलानें आ गए..

..दिल से फ़िर हम तुम्हें मिलानें आ गए..
..तुमनें हमपें नज़र उठाया..
..और हम गले लगानें आ गए..
..लो ख़िदमत में तेरे..
..हम तेरे सिराहनें आ गए..
..जुल्फ़ें बिखेरें और तुममें समानें आ गए..
..सारें गीलें-शिकवें हम भूलानें पे आ गए..
..तुमनें सीनें से जो लगाया..
..हम तुम्हारें में आ गए..
..हो गए सारें गीत मुहब्बत के मुझमें फ़ना..
..तुमनें आँखें चार की..
..और हम समझानें आ गए..
..चूमं के तेरे हम गालों को..
..चालों से हम तेरे बातों में आ गए..
..अब खुशियों को हम..
..ज़िन्दगी से मिलानें आ गए..
..सब हर्श गवां हम अब वारदातों पे आ गए..
..लो सुर्खियाँ उठाई और ज़ज्बातों पे आ गए..
..हो गई सारी चाहतें मेरी पूरी..
..तुमनें नज़र से गिराया..
..और हम ज़मानें में आ गए..
..दिल से फ़िर हम तुम्हें मिलानें आ गए..
..तुमनें हमपें नज़र उठाया..
..और हम गले लगानें आ गए..!


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