..दिल की बात ज़ुबां पे आने लगी..
..हक की बात मेरे भी दिल में समानें लगी..
..मेरा हैं क्या मन में मेरे घर कर जानें लगी..
..बहोत कर दिया हक में सबकें..
..मेरा हैं क्या मुझे ये समझ आने लगी..
..ज़िन्दगी की राज़ मौत की गहरी बात..
..सब हैं यें किसकी गहरी साज़िश..
..खुद को हारा हुआ देख समझ आनें लगी..
..दर्द,सितम,धोखा सारें मेरे हिस्सें आने लगी..
..किया था शायद क्या कुछ ऐसा..
..जो मेरे हिस्सें सारें गम आने लगी..
..सबक हैं ये मुझे मेरे रब ने मुझे बताया हैं..
..कौन हैं अपना ये फ़र्क करना सीखाया हैं..
..सब उलझ के रह गया यहां..
..किस्मत पे पहरा ज़ो तेरी नज़रों ने लगाया हैं..
..सब अपराध ये मेरे धुल के रह गए..
..गंगा जो मैं नहा के आया..
..मेरे सब्र की इम्तिहां अब पूरी हूई..
..गज़ल जो पन्नों पे अब सज़ोंनें लगी हैं..
..दिल की बात ज़ुबां पे आने लगी..
..हक की बात मेरे भी दिल में समानें लगी..!
..हक की बात मेरे भी दिल में समानें लगी..
..मेरा हैं क्या मन में मेरे घर कर जानें लगी..
..बहोत कर दिया हक में सबकें..
..मेरा हैं क्या मुझे ये समझ आने लगी..
..ज़िन्दगी की राज़ मौत की गहरी बात..
..सब हैं यें किसकी गहरी साज़िश..
..खुद को हारा हुआ देख समझ आनें लगी..
..दर्द,सितम,धोखा सारें मेरे हिस्सें आने लगी..
..किया था शायद क्या कुछ ऐसा..
..जो मेरे हिस्सें सारें गम आने लगी..
..सबक हैं ये मुझे मेरे रब ने मुझे बताया हैं..
..कौन हैं अपना ये फ़र्क करना सीखाया हैं..
..सब उलझ के रह गया यहां..
..किस्मत पे पहरा ज़ो तेरी नज़रों ने लगाया हैं..
..सब अपराध ये मेरे धुल के रह गए..
..गंगा जो मैं नहा के आया..
..मेरे सब्र की इम्तिहां अब पूरी हूई..
..गज़ल जो पन्नों पे अब सज़ोंनें लगी हैं..
..दिल की बात ज़ुबां पे आने लगी..
..हक की बात मेरे भी दिल में समानें लगी..!
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