Wednesday, 9 April 2014

..मैं उदास हुएं बैठा हूँ..

..मैं उदास हुएं बैठा हूँ..
..कहानी जो थीं मेरी..
..आँखों में लिए बैठा हूँ..
..आँसुओं से जुदा ना हो तस्वीर तेरी..
..इसलिए खाली रात लिए हुएं बैठा हूँ..
..मैं दुआओं में जो तुम्हें माँग बैठा हूँ..
..बस वहीं जज़्बात लिए हुएं बैठा हूँ..
..तेरी तस्सवूर में जो कर बैठा हूँ..
..वही मुकम्मल मुहब्बत की किताब लिए हुएं बैठा हूँ..
..मैं उदास हुएं बैठा हूँ..
..कहानी जो थीं मेरी..
..आँखों में लिए बैठा हूँ..
..तेरी ज़ुल्फ़ों के नीचें तेरी बाहों को भींचें..
..तेरी पहलूं में एक घनी छाँव लिए बैठा हूँ..
..तेरे होंठों की खुशबू तेरी साँसों की गर्मी..
..तेरी चाहत में आवारगी की एक वारदात लिए बैठा हूँ..
..बस आँखों में सपना तेरा ज़ुबाँ ये नाम तेरा..
..ज़ाँ आरज़ूं में तेरी मैं यें एक गुलाब लिए बैठा हूँ..
..मैं उदास हुएं बैठा हूँ..
..कहानी जो थीं मेरी..
..आँखों में लिए बैठा हूँ..!


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