Nitesh Verma Poetry
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Saturday, 5 April 2014
..छूना चाहता हूँ आसमां को..
..छूना चाहता हूँ आसमां को..
..पकड मेरी अभी ज़मी की हैं..
..करना चाहता हूँ इबादत रब से..
..क्यूंकि इश्क मेरी रकीब से हैं..!
# रक़ीब उसे कहा गया गया है; जो खुद भी उसी लैला की चाह रखता है, जिसके पहलू में मजनूं की दुनिया आबाद है।
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