..भरें शाम मैं खुद से परेशां..
..भरें आँख मैं तुझसे परेशां..
..याद में तु मेरे बसे..
..मेरे बातों से मैं खुद परेशां..
..हैंरत भरी निगाहों को समेटे..
..उल्झन भरी गुनाहों को समेटे..
..मेरे यादों में तु बसे..
..मैं अपनी साँसों से परेशां..
..तेरे चेहरें को सज़ाएँ..
..तेरे ज़ुल्फ़ों को सँवारें..
..तेरे होठों से मेरे होंठ लगाएँ..
..ऐसी प्यारी बातों से दिल परेशां..
..भरें शाम मैं खुद से परेशां..
..भरें आँख मैं तुझसे परेशां..!
..भरें आँख मैं तुझसे परेशां..
..याद में तु मेरे बसे..
..मेरे बातों से मैं खुद परेशां..
..हैंरत भरी निगाहों को समेटे..
..उल्झन भरी गुनाहों को समेटे..
..मेरे यादों में तु बसे..
..मैं अपनी साँसों से परेशां..
..तेरे चेहरें को सज़ाएँ..
..तेरे ज़ुल्फ़ों को सँवारें..
..तेरे होठों से मेरे होंठ लगाएँ..
..ऐसी प्यारी बातों से दिल परेशां..
..भरें शाम मैं खुद से परेशां..
..भरें आँख मैं तुझसे परेशां..!
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