Saturday, 26 April 2014

Nitesh Verma Poetry

[1] ..अब क्या लगाओगे दावं पे वर्मा..
..महफ़िल में जो महबूब लूटा आऐं हो तुम..

..शर्म तुमको मगर नहीं आती..
..ज़िन्दगी किसी और की दावं पे आऐं हो तुम..!

[2] हमनें किया हैं प्रण अब आपसे कोई फ़रेब ना होगा
आपका राज़ अब "आप" से होगा!

[3] ..मुक्करर सारी कहानी तेरी दीवानी हो गई..
..तूनें होठों से जो होंठ मिलाया..
..दर्द सारी मेरी ज़ुबानी हो गई..!

..नितेश वर्मा..

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