Wednesday, 9 April 2014

..लेकिन गज़ल ये पुरानी हैं..

..मैं आधुनिक हूँ..
..लेकिन गज़ल ये पुरानी हैं..
..मैं तुम्हारा हूँ..
..लेकिन समझ ये नादानी हैं..
..हिस्सा मेरा मेरे वक्त से भी जुदा हैं..
..तुम मेरी हो इसमें मेरी क्या ख़ता हैं..
..मैं जुडा ज़मानें से हूँ..
..बेपरवाह, बेखबर तेरी कहानी से हूँ..
..ज़ले किस्मत के सहारें बैठा हूँ..
..मंज़िल से बेरूख जो किनारें बैठा हूँ..
..मैं सोया हूँ तुझमें..
..लेकिन ख़वाबें ये पुरानी हैं..
..ज़िद थी मेरी तुम हो सिर्फ़ मेरी..
..लेकिन बहस ये सिर्फ़ नादानी हैं..
..मैं आधुनिक हूँ..
..लेकिन गज़ल ये पुरानी हैं..
..मैं तुम्हारा हूँ..
..लेकिन समझ ये नादानी हैं..!


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