..चुप ही रहना अच्छा लगा..
..भरी भीड तो हँसना ही अच्छा लगा..
..दबाएँ दबती नहीं अब बातें मेरी..
..पर खामोश रहना ही मुझे अच्छा लगा..
..सियासत की बातों पे लिखना जरूरी लगा..
..मगर लगी जान तो परवाह करना मुझे अच्छा लगा..
..सारी रात जगना और दुनियादारी समझना..
..लोगों के मुँह से खातिर अपने गाली सुनना..
..भरी आँख जो इस बात तो..
..भरी रात सोना अच्छा लगा..
..चुप ही रहना अच्छा लगा..
..भरी भीड तो हँसना ही अच्छा लगा..!
..भरी भीड तो हँसना ही अच्छा लगा..
..दबाएँ दबती नहीं अब बातें मेरी..
..पर खामोश रहना ही मुझे अच्छा लगा..
..सियासत की बातों पे लिखना जरूरी लगा..
..मगर लगी जान तो परवाह करना मुझे अच्छा लगा..
..सारी रात जगना और दुनियादारी समझना..
..लोगों के मुँह से खातिर अपने गाली सुनना..
..भरी आँख जो इस बात तो..
..भरी रात सोना अच्छा लगा..
..चुप ही रहना अच्छा लगा..
..भरी भीड तो हँसना ही अच्छा लगा..!
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