Sunday, 27 April 2014

Nitesh Verma Poetry

[1] ..तमाम शायर बदल गए देश के..
..अए दोस्त..!
..तेरा ये यार ना बदला..
..मुहब्बत के सारें मायनें बदल गए..
..मगर वफ़ाओं से मेरा ये नाम ना बदला..!

[2] ..तुम ही सुनातें थे सारें किस्सें पुरानें..
..बेवफ़ा जो तुम्हें बताया तो नाराज़ हो गए..!

[3] ..अब कौन सँभालेगा मेरे रिश्तें की बागडोर को..
..देखो वर्मा..
..वक्त धीमा पड गया..
..अब कौन सँभालेगा सियासत की डोर को..!


No comments:

Post a Comment