Wednesday, 16 April 2014

..वो चेहरा शायद पराया हैं..

..वो चेहरा शायद पराया हैं..
..जो पिछ्लें रात ख़्वाब में मेरे आया हैं..
..वो चेहरा शायद सताया हैं..
..जो दर्द में मेरे साथ आया हैं..
..वो अंज़ान मेरे इरादों से..
..वो मेरे हक में आया हैं..
..दिल में रक्खें बदनेकी..
..मैंनें चेहरें को उसके छू आया हैं..
..कितना मासूम हैं वो..
..मेरे फ़रेब को उसने मुहब्बत से जोड आया हैं..
..मैं नाकारा निकल गया..
..जो किसी की गहरी साज़िश..
..किसी और पे खेल आया हैं..
..अब वो मेरे हाथ से झूठ गया हैं..
..दर्द में एक और दर्द दे गया हैं..
..अब मैं रोता क्यूं हूँ..
..जो प्यार में राजनीति खेल आया हैं..
..सब दर्द एक साथ गहरी रात समेट आया हैं..
..वो चेहरा शायद पराया हैं..
..जो पिछ्लें रात ख़्वाब में मेरे आया हैं..!


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