Thursday, 10 July 2014

..हाथों से वो छूट जातें हैं..

..अपनों से जो रूठ जातें हैं..
..हाथों से वो छूट जातें हैं..

..कहनें की ये बात नहीं..
..किसी यादों में वो छूट जातें हैं..

..दिल के हर तस्वीर में जो बसे रहतें हैं..
..आँखों की समुन्दर से कभी छूट जातें हैं..

..मिलातें हैं हर-वक्त जो नसीब अपना..
..इंसानों से वो अक्सर रूठ जातें हैं..

..मौसमी बदलतें हैं जो यार अपना..
..अक्सर सच्चें मुहब्बत से वो छूट जातें हैं..

..हर-हाल को बयां करतें हैं जो वर्मा..
..दर्दें-हाल से अपनें वो छूट जातें हैं..

..अपनों से जो रूठ जातें हैं..
..हाथों से वो छूट जातें हैं..!

..नितेश वर्मा..

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