..चले आतें किसी वक्त जो दिल से तुमनें बुलाया होता..
..खातिर तुम्हारें तो वक्त से भी रूसवा कर आया होता..
..मैं माँगता क्या था जो हर वक्त तुम उदास रहती थीं..
..उस उदासी से जो कहती तो मैं बिन बुलाए आया होता..
..मैं तुम्हारें बातों में गिरफ्त था होश क्या लगाया होता..
..तुम जो कहती मुझसे शाम-सबेरें मैं वो गुनगुनाया होता..
..हर दर्द को जो छुपाती रही थीं इक उम्र से जो तुम..
..इक उम्र गुजर गया बिन तेरे मैं कैसे मुस्कुरायां होता..
..तेरें लबों पे ना जानें कितनें बहानें कई सदियों से थें..
..झूठा ही सही मेरे नाम से कभी जुबाँ टकराया तो होता..
..रही-सही उम्र कैसे भी गुजार लो तुम मुहब्बत में क्या हैं..
..मुहब्बत से एक उम्र में रोता रहा तुम्हें क्या बताया होता..
..चले आतें किसी वक्त जो दिल से तुमनें बुलाया होता..
..खातिर तुम्हारें तो वक्त से भी रूसवा कर आया होता..
.नितेश वर्मा..
..खातिर तुम्हारें तो वक्त से भी रूसवा कर आया होता..
..मैं माँगता क्या था जो हर वक्त तुम उदास रहती थीं..
..उस उदासी से जो कहती तो मैं बिन बुलाए आया होता..
..मैं तुम्हारें बातों में गिरफ्त था होश क्या लगाया होता..
..तुम जो कहती मुझसे शाम-सबेरें मैं वो गुनगुनाया होता..
..हर दर्द को जो छुपाती रही थीं इक उम्र से जो तुम..
..इक उम्र गुजर गया बिन तेरे मैं कैसे मुस्कुरायां होता..
..तेरें लबों पे ना जानें कितनें बहानें कई सदियों से थें..
..झूठा ही सही मेरे नाम से कभी जुबाँ टकराया तो होता..
..रही-सही उम्र कैसे भी गुजार लो तुम मुहब्बत में क्या हैं..
..मुहब्बत से एक उम्र में रोता रहा तुम्हें क्या बताया होता..
..चले आतें किसी वक्त जो दिल से तुमनें बुलाया होता..
..खातिर तुम्हारें तो वक्त से भी रूसवा कर आया होता..
.नितेश वर्मा..
No comments:
Post a Comment