Wednesday, 2 July 2014

..किसी दुकानों में सजा के रख दो तुम..

..सियासी दावपेंच समझतें हो तो समझों तुम..
..ये मुहब्बत, वफ़ादारी, दोस्ती..
..किसी दुकानों में सजा के रख दो तुम..

..हर बात पे कोई मतलब होता हैं यहां..
..दिल से निकल-कर दिमाग से सोचों तुम..

..अब लूट ही जाओगें तो क्या होगा तुम्हारा..
..बातें शर्म,हयां,लाज की..
..आखों से निकाल-कर रख दो तुम..

..कमज़ोर हैं गर हाथें तुम्हारी तो थाम लो लाठी तुम..
..कोट-कचहरी सब बकवास हैं..
..थप्पड मार दो इनको चाहें जितनें तुम..

..खून-पसीनें की कमाई खाना चाहतें हो तो लूटों तुम..
..यहां गरीबों को इंसाफ़ मिलता नहीं..
..गरीबों को लूटों तुम..

..हर-बात मेरी आज़ बकवास लगती हैं सबको..
..अपनी नज़र से उठकर खुद को देखो तुम..!

..नितेश वर्मा..

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