Wednesday, 23 July 2014

..माँ: ममता का एक अद्वितीय स्रोत..

माँ कितना आसान और कितना अहम शब्द हैं। माँ जो इक ज़िन्दगी की नींव रखती हैं। बिना किसी संकोच, अपराध, छल, कपट के वो अपनें बच्चें को जन्म देती हैं और उसका पालन-पोषण करती हैं, यानि माँ किसी बच्चें की ज़िन्दगी का सबसे अहम हिस्सा होती हैं। माँ किसी किताबों में सजानें, पार्टियों में शोघी बघोरनें, या सामाजिक कार्यों में दिखावें का साधन नहीं होती वो तो आपकी माँ होती हैं। माँ का मतलब आप समझतें हैं ना  माँ ममता का एक अद्वितीय स्रोत हैं। माँ की सेवा की जानी चाहिएं, क्यूंकि आपकों पता नहीं, मुझे पता नहीं हमारें जन्म के पीछें हमारी माँ का कितना संघर्ष हैं। वो किस कदर इस सामाज, अपनें परिवार और अपनें स्वास्थ से लड के आपकों इस दुनियाँ में लाती हैं। बहोत आसान होता हैं अपनी जिम्मेदारियों से भाग के उनसे पीछा छुडा लेना और वो वाकई कारगर साबित होता हैं, लेकिन आपके उस निर्णय से ना जानें कितनी ज़िन्दगीयाँ बर्बाद होती हैं।

..कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती..
..माँ हैं क्यूं रूसवां मुझसे बात हैं जो ये समझ नहीं आती..

        माँ का दिल बहोत बडा होता हैं वो अपनें बच्चों से नाराज़ या उदास नहीं होती वो तो बस कभी-कभी उनकें हरकतों से परेशान हो जाती हैं। उन्होनें उनसे ज्यादा अच्छें से दुनियाँ को देखा हैं समझा हैं उन्हें पता होता हैं की कौन सा रास्ता उनकें बच्चों के पक्ष में जाता हैं और बस इस बात को ये बच्चें समझ नहीं पाते। माँ उनकें बस इस बात से परेशान रहती हैं और दिल इतना साफ और सुलझा हुआ जो बखूबी दिख जाता हैं लेकिन मुद्दा समझ नहीं आता। गर माँ आपसे रूठ जाएं तो उन्हें मनानें की कोशिश करें बात करनें की कोशिश करें आपकी माँ कभी भी आपको नज़र-अंदाज़ नहीं करेंगी इसका मुझे पूर्णं विश्वास हैं।

..जब रूखसत ही करना था मुझे तो इस काबिल बनाया क्यूं..
..जाँ जाती हैं अब बिन तेरे हर दर्द पे मेरे मरहम लगाया क्यूं..


..मेरें एहसासों की बात हैं ये..
..दिल मेरा आज उदास हैं ये..
..लगती हैं माँ मुझसे नाराज़..
..तस्वीर हैं जो पास हैं ये..
..किसी दिन सोया था जो आँखों में उनकें..
..बुझ गयी थीं जो प्यास हैं ये..
..उदास हो जाता हैं तब ये मन मेरा..
..माँ रूसवां हो जाती हैं कोई बात हैं ये..
..आज़ चाहता हैं फिर से कहूँ कुछ उनसे..
..ना जानें क्यूं दिल उदास हैं ये..
..मेरे होंठों पे ना-जानें..
..तुमनें कितनें नाम सजा दिएं..
..आसां हैं माँ तुझे बुलाना क्या बात है ये..
..अब किस-किस नाम से मैं तोडूं नाता..
..प्रीति,सपना,नेहा हर आवाज़ में हैं तू..
..गलें से जो तुमनें लगाया था मुझे..
..आज़ हूँ तन्हा खडा कोई हयात हैं ये..!

..नितेश वर्मा..

No comments:

Post a Comment