Wednesday, 9 July 2014

..सुबह का भूला शाम को लौट आतें हैं..

..सुबह का भूला शाम को लौट आतें हैं..
..परिंदे भी आसमानों से लौट आतें हैं..

..ज़िन्दगी भर जिसनें कुछ कमाया नहीं..
..दुआओं की चक्कर में मस्जिद लौट आतें हैं..

..पढतें रहें तमाम उम्र जिस किताब को..
..मरनें पे हैं तो सबक लौट आतें हैं..

..चलते-फिरतें मुसाफिर एक कारवां बनातें हैं..
..बिछडन को जब हैं यादें लौट आतें हैं..

..तन्हा कहीं था मैं खुद से परेशां..
..मुश्किल में हो गर जाँ तो साथी लौट आतें हैं..

..भूलाया था कितनें मुद्दतों बाद जिन्हें..
..आज़ मरनें को हूँ समय पे अपनें लौट आतें हैं..

..सुबह का भूला शाम को लौट आतें हैं..
..परिंदे भी आसमानों से लौट आतें हैं..!

..नितेश वर्मा..

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